Telecom Act: नए नियम से ब्लाक हो सकते है OTP, कंपनियों में बढ़ी चिंता

Telecom Act: 1 नवंबर से लागू होने वाले TRAI नियमों के कारण OTP और अन्य जरूरी मैसेज की डिलीवरी प्रभावित हो सकती है। बैंकों, ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों और वित्तीय संस्थानों के लिए यह चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है क्योंकि नए नियमों के तहत मैसेज की ट्रेसबिलिटी अनिवार्य होगी। इससे टेलीकॉम कंपनियों के लिए ट्रांजेक्शनल और सर्विस मैसेज डिलीवर करना कठिन हो सकता है।

नए TRAI नियमों के प्रभाव पर संक्षिप्त जानकारी

पहलूविवरण
नए नियमों की शुरुआत1 नवंबर 2024 से, बैंकों, ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों और वित्तीय संस्थानों द्वारा भेजे गए मैसेज की ट्रेसबिलिटी अनिवार्य होगी।
संभावित समस्याएंOTP और अन्य महत्वपूर्ण मैसेज ब्लॉक या डिले हो सकते हैं। ट्रांजेक्शन और सेवाओं में बाधा आ सकती है।
प्रतिदिन मैसेज ट्रैफिकभारत में लगभग 1.5-1.7 अरब कमर्शियल मैसेज रोजाना भेजे जाते हैं।
समाधान का प्रस्ताव1 नवंबर से ‘लॉगर मोड’ में नियम लागू करना; 1 दिसंबर से ‘ब्लॉकिंग मोड’ में पूरी तरह से शिफ्ट होना।
व्हाइटलिस्टिंग आवश्यकताURL, कॉलबैक नंबर और अन्य जानकारी को पंजीकृत कराना अनिवार्य; यदि मेल नहीं खाता है, तो मैसेज ब्लॉक कर दिया जाएगा।
समय सीमा विस्तार की मांगटेलीकॉम कंपनियों और PEs ने 2 महीने की अतिरिक्त समय सीमा का अनुरोध किया है।

TRAI के नए नियम और टेलीकॉम कंपनियों की चिंता

TRAI के निर्देश के अनुसार, 1 नवंबर से सभी बैंकों, ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों और प्रमुख संस्थानों द्वारा भेजे गए मैसेज का ट्रैक रखना अनिवार्य होगा। अगर टेलीमार्केटर्स की पूरी चेन सही क्रम में नहीं है या कुछ अनियमितताएं पाई जाती हैं, तो मैसेज डिलीवरी को ब्लॉक कर दिया जाएगा।

यह समस्या इस वजह से गंभीर हो रही है क्योंकि टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि अगर टेलीमार्केटर्स और प्रमुख संस्थान (PEs) इन नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो OTP और अन्य जरूरी मैसेज समय पर ग्राहकों तक नहीं पहुंच पाएंगे।

संभावित समस्याएं और असर

भारत में हर दिन करीब 1.5 से 1.7 अरब कमर्शियल मैसेज भेजे जाते हैं, जिनमें से ज्यादातर OTP और महत्वपूर्ण सूचनाओं वाले होते हैं। अगर इन नियमों के चलते मैसेज ब्लॉक होते हैं या डिलीवरी में देरी होती है, तो इसका बड़ा प्रभाव देखने को मिलेगा।

  • OTP और जरूरी मैसेज ब्लॉक हो सकते हैं, जिससे ट्रांजेक्शन में देरी होगी।
  • टेलीकॉम कंपनियों ने समय सीमा बढ़ाने की मांग की है, ताकि प्रमुख संस्थान और टेलीमार्केटर्स इन नए नियमों का पालन कर सकें।

नियमों के लिए समय सीमा बढ़ाने की मांग

टेलीकॉम कंपनियां और कई प्रमुख संस्थान (PEs) अभी तक इन तकनीकी बदलावों के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने दो महीने की समय सीमा बढ़ाने की मांग की है, ताकि जरूरी तकनीकी अपडेट्स किए जा सकें।

1 नवंबर से ‘लॉगर मोड’ में इन नियमों को लागू करने की योजना बनाई जा रही है, ताकि सिस्टम सुचारू रूप से काम करता रहे और जरूरी सुधार किए जा सकें। इसके बाद 1 दिसंबर से ‘ब्लॉकिंग मोड’ में पूरी तरह से शिफ्ट होने की योजना है।

व्हाइटलिस्टिंग: मैसेज की सुरक्षा की गारंटी

व्हाइटलिस्टिंग सिस्टम के तहत, बैंक, ई-कॉमर्स प्लेटफार्म और अन्य संस्थान जो कमर्शियल मैसेज भेजते हैं, उन्हें अपने मैसेज में शामिल URLs, कॉलबैक नंबर और अन्य जानकारी को टेलीकॉम ऑपरेटर्स के पास पंजीकृत करना होगा। अगर मैसेज की जानकारी ऑपरेटर्स के सिस्टम से मेल खाती है, तो ही वह मैसेज डिलीवर किया जाएगा; अन्यथा, उसे ब्लॉक कर दिया जाएगा।

टेलीकॉम कंपनियों की तैयारियां

  • टेलीकॉम कंपनियों ने टेलीमार्केटर्स और PEs को प्रतिदिन रिपोर्ट भेजने का वादा किया है ताकि सुधारात्मक कार्रवाई की जा सके।
  • 1 अक्टूबर से TRAI ने सभी टेलीकॉम ऑपरेटर्स को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि केवल व्हाइटलिस्ट किए गए URLs, APKs, OTT लिंक और कॉलबैक नंबर ही इस्तेमाल हों।

निष्कर्ष

TRAI के ये नए नियम टेलीकॉम सेक्टर की सुरक्षा और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए बनाए गए हैं, लेकिन इसका सीधा असर OTP और अन्य महत्वपूर्ण मैसेज की डिलीवरी पर पड़ सकता है। टेलीकॉम कंपनियों और संस्थानों को इन बदलावों के लिए समय सीमा बढ़ाने की जरूरत है, ताकि ग्राहकों को बिना किसी रुकावट के सेवाएं मिलती रहें।

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