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Success Story: ऐसे बनते है ब्रांड, 2000 उधार लेकर आज 1700 करोड़ का साम्राज्य बनाया

Success Story: साल 2008 में एक छोटे से आयुर्वेदिक कंपनी के मालिक ने एक ऐसा कदम उठाया जिसने उनकी ज़िंदगी बदल दी। उन्होंने अपने बाल झड़ने की समस्या का समाधान निकालने के लिए एक आयुर्वेदिक फॉर्मूला तैयार किया और इसे बाजार में उतारा। इस फॉर्मूला का नाम था केश किंग

6 साल के अंदर, इस ब्रांड की सफलता ने इसे इतना लोकप्रिय बना दिया कि इसे 1651 करोड़ रुपये में Emami द्वारा खरीद लिया गया। लेकिन संजीव जुनेजा का सफर यहीं नहीं रुका, उन्होंने इसके बाद डॉ. ऑर्थो, पेट सफा, रूप मंत्रा, सच्ची सहेली, अक्यूमस जैसे और भी सफल ब्रांड्स लॉन्च किए।

इस ब्लॉग में, हम जानेंगे कि कैसे संजीव जुनेजा ने इतने सारे ब्रांड्स को सफल बनाया और उनसे 6 महत्वपूर्ण मार्केटिंग और ब्रांडिंग के सबक सीखने को मिलते हैं।

संजीव जुनेजा का सफर: ₹2000 से करोड़ों तक

संजय जुनेजा का सफर आसान नहीं था। 1999 में उनके पिता, जो आयुर्वेदिक डॉक्टर थे, का निधन हो गया। उस समय, उनके पास दो रास्ते थे – या तो क्लिनिक बंद कर दें या इसे जारी रखें। उन्होंने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने का फैसला किया। ₹2000 की उधारी लेकर उन्होंने छोटे से ऑफिस से अपने नए बिजनेस की शुरुआत की।

शुरुआत में, उन्होंने छोटे-छोटे प्रोडक्ट्स बनाए और कुछ सफलता पाई। लेकिन असली टर्निंग पॉइंट 2008 में आया, जब उन्होंने केश किंग का निर्माण किया। यह प्रोडक्ट संजीव जी की खुद की समस्या का समाधान था, और यही इसकी ताकत बनी।

एक समस्या को हल करके बनाया बड़ा ब्रांड

जब संजीव जी ने केश किंग को लॉन्च किया, तो बाजार में बड़े MNCs के हेयर प्रोडक्ट्स का बोलबाला था। लेकिन उन्होंने अपनी प्रोडक्ट पोजिशनिंग को बाकी प्रोडक्ट्स से अलग रखा।

जब बाकी कंपनियां स्टाइलिंग पर ध्यान दे रही थीं, संजीव जी ने बालों के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने अपने ब्रांड को “हेयर हेल्थ” के लिए प्रमोट किया, और यह रणनीति सफल रही।

शुरुआत में, संजीव जी खुद दुकान-दुकान जाकर अपने प्रोडक्ट्स बेचते थे। उन्होंने दुकानदारों को अच्छे मार्जिन्स और छूट दी, जिससे उनके प्रोडक्ट्स को बाजार में एक खास जगह मिली।

केश किंग की ग्रोथ

वर्षवार्षिक बिक्री (करोड़ रुपये में)
20082
200913
201029
2011150
2012300

इस ब्रांड की तेज़ी से बढ़ती हुई सफलता ने बड़ी कंपनियों का ध्यान खींचा और अंततः Emami ने इसे 1651 करोड़ रुपये में खरीद लिया।

नए ब्रांड्स की शुरुआत

सफलता से प्रेरित होकर, संजीव जी ने और भी ब्रांड्स लॉन्च किए, जिनमें पेट सफा और डॉ. ऑर्थो शामिल थे। इन प्रोडक्ट्स के लिए भी उन्होंने वही स्ट्रेटेजी अपनाई – प्रोडक्ट का नाम और टैगलाइन ऐसी रखी जिससे कस्टमर्स को तुरंत पता चल जाए कि प्रोडक्ट किस समस्या का समाधान करता है।

संजीव जुनेजा के ब्रांड्स और उनकी विशेषताएँ

ब्रांड का नामसमस्या का समाधानटैगलाइनसेलिब्रिटी प्रमोशन
केश किंगबालों का झड़नाबालों का राजाJuhi Chawla
पेट सफाकब्ज और पेट की समस्याएंपेट साफा, रोग दूरRaju Srivastava
डॉ. ऑर्थोजोड़ों का दर्ददर्द भी घुटने टेक देगाJaved Akhtar
रूप मंत्राचेहरे के दाग-धब्बे और पिंपल्सरूप मंत्रा, सुंदरता का मंत्रPreity Zinta

6 ब्रांडिंग और मार्केटिंग के सबक

  1. प्रोडक्ट की ताकत: अगर आपका प्रोडक्ट असरदार है, तो ग्राहक खुद-ब-खुद इसके बारे में दूसरों को बताएगा।
  2. निच मार्केट: किसी विशेष समस्या या ज़रूरत को पहचानें और उसी पर ध्यान केंद्रित करें।
  3. सेलिब्रिटी प्रमोशन: सही सेलिब्रिटी के साथ अपने ब्रांड को प्रमोट करें, जिससे आपके प्रोडक्ट को ज्यादा पहुंच मिल सके।
  4. स्पष्ट कम्युनिकेशन: अपने प्रोडक्ट की विशेषताओं को स्पष्ट रूप से बताएं, जिससे कस्टमर्स को आसानी से समझ आ सके कि प्रोडक्ट किस समस्या का समाधान करता है।
  5. फीडबैक और मार्केट टेस्टिंग: किसी भी प्रोडक्ट को बड़े पैमाने पर लॉन्च करने से पहले छोटे पैमाने पर उसकी टेस्टिंग करें।
  6. समस्या को हल करें: ब्रांड बनाने से पहले एक समस्या या ज़रूरत को पहचानें और उसे हल करने के लिए एक प्रोडक्ट बनाएं।

निष्कर्ष

संजय जुनेजा की कहानी हमें सिखाती है कि अगर आपके पास सही रणनीति, कड़ी मेहनत और मार्केटिंग का ज्ञान है, तो आप भी छोटे से शुरू करके बड़े ब्रांड बना सकते हैं। उनकी सफलता की कहानी आज के उद्यमियों के लिए एक प्रेरणा है।

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