Success story: कपडे की मील में काम करते थे, आज अमेरिका में खुदका ब्रांड, करोड़ो का साम्राज्य

Success story: भारत के लोगों ने दुनियाभर में अपनी मेहनत और लगन से सफलता की मिसालें कायम की हैं। ऐसी ही एक प्रेरक कहानी है जमनदास वाटूमल की, जिन्होंने एक कपड़ा मिल कर्मचारी से लेकर अमेरिका के हवाई द्वीप पर एक समृद्ध बिजनेस साम्राज्य स्थापित किया। उनकी मेहनत और दूरदृष्टि ने वाटूमल परिवार को हवाई के सबसे अमीर परिवारों में शामिल कर दिया। आइए जानते हैं, कैसे एक भारतीय परिवार ने सीमित साधनों के साथ शुरुआत की और सफलता की बुलंदियों को छुआ।


जमनदास वाटूमल: सिंध से हवाई तक का सफर

जमनदास वाटूमल का जन्म भारत के विभाजन से पहले सिंध प्रांत के हैदराबाद में हुआ। उनके पिता का ईंटों का व्यवसाय था, लेकिन एक दुर्घटना के बाद परिवार आर्थिक संकट में आ गया।
जमनदास ने परिवार का सहारा बनने के लिए फिलीपींस का रुख किया, जहां उन्होंने कपड़ा मिलों में काम किया। लेकिन उनकी महत्वाकांक्षा उन्हें सीमित नौकरियों तक बांध नहीं सकी। उन्होंने 1909 में अपने साथी धर्मदास के साथ मनीला में एक ट्रेडिंग व्यवसाय शुरू किया।


होनोलूलू में पहला कदम

1915 में, 29 वर्षीय जमनदास अपने साथी धर्मदास के साथ हवाई के होनोलूलू पहुंचे। यहां उन्होंने एशियाई उत्पादों जैसे रेशम, हाथीदांत, पीतल के बर्तन और अन्य वस्तुओं को बेचने के लिए एक रिटेल स्टोर खोला। इस स्टोर को “वाटूमल और धर्मदास” के नाम से रजिस्टर्ड किया गया।

दुर्भाग्यवश, 1916 में धर्मदास का निधन हो गया। इसके बाद जमनदास के भाई गोविंदराम ने स्टोर का प्रबंधन संभाला और इसका नाम बदलकर ईस्ट इंडिया स्टोर रख दिया।


हवाई फैशन का प्रतीक: अलोहा शर्ट

1930 के दशक में हवाई एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गया। इस दौरान अलोहा शर्ट फैशन का पर्याय बन गई।
गोविंदराम ने अपनी साली एल्सी जेन्सन की मदद से 1936 में हवाई पैटर्न वाली अलोहा शर्ट्स का डिजाइन तैयार किया। ये शर्ट्स इतनी लोकप्रिय हुईं कि हॉलीवुड स्टार्स जैसे लोरेटा यंग, जैक बेनी और लाना टर्नर इन्हें खरीदने के लिए वाटूमल स्टोर में आते थे।


बिजनेस का विस्तार

वाटूमल परिवार ने फैशन के साथ-साथ रियल एस्टेट और अन्य सेक्टर्स में भी कदम रखा।

  • 1937 में उन्होंने वाइकिकी वाटूमल बिल्डिंग का निर्माण किया।
  • 1957 तक उनका व्यवसाय 10 स्टोर्स, अपार्टमेंट्स और अन्य कमर्शियल प्रॉपर्टीज में फैल गया।
  • उन्होंने रॉयल हवाईयन मैन्युफैक्चरिंग कंपनी खरीदी, जो फैमिली अलोहा वियर का उत्पादन करती थी।

नागरिकता और चुनौतियां

जमनदास और गोविंदराम को अमेरिका में नागरिकता प्राप्त करने में कई दशक लग गए। शुरुआत में उन्हें आव्रजन कानूनों और भेदभाव का सामना करना पड़ा। गोविंदराम ने 1922 में एलेन जेन्सन से शादी की, जो एक अमेरिकी नागरिक थीं। लेकिन अप्रवासी से शादी करने के कारण उनकी नागरिकता छिन गई।

1931 में महिला मतदाताओं की लीग के साथ काम करते हुए उन्होंने नागरिकता हासिल की। आखिरकार, 1946 में गोविंदराम को अमेरिकी नागरिकता मिल गई।


रियल एस्टेट पर फोकस

भारत के विभाजन के बाद वाटूमल परिवार मुंबई आ गया। जमनदास के बेटे गुलाब ने हवाई में बिजनेस संभाला।

  • 1955 में व्यवसाय का बंटवारा हुआ।
  • जमनदास और गुलाब ने रिटेल बिजनेस संभाला, जबकि गोविंदराम ने रियल एस्टेट की कमान ली।

वर्तमान स्थिति:
वाटूमल परिवार ने 2020 में अपना आखिरी रिटेल स्टोर बंद कर दिया। अब उनका पूरा ध्यान रियल एस्टेट पर है। 2023 में उन्होंने हवाई में एक बड़ा मार्केटप्लेस खरीदा।


सफलता की सीख

वाटूमल परिवार की कहानी बताती है कि कैसे कठिन परिश्रम, दृढ़ता और सही रणनीति से सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने साकार किए जा सकते हैं। यह कहानी न केवल प्रेरणा देती है, बल्कि बताती है कि सफलता के लिए नए अवसरों को पहचानना और उनका उपयोग करना कितना महत्वपूर्ण है।


निष्कर्ष
जमनदास वाटूमल और उनका परिवार भारतीयों के साहस और उद्यमशीलता का प्रतीक हैं। उनकी यात्रा हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों से शुरुआत करके बड़ी सफलता प्राप्त करना चाहता है।

क्या आप भी अपने सपनों को उड़ान देना चाहते हैं? तो वाटूमल परिवार की कहानी से प्रेरणा लें और अपनी राह बनाएं!

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