Success story: कीवी की खेती एक अत्यधिक लाभदायक व्यवसाय साबित हुई है, जहां 700 पौधों से ₹1 करोड़ तक की कमाई की जा सकती है। दलजीत सिंह, जो भारत में कीवी के पहले किसान हैं, अपनी यात्रा साझा करते हैं कि कैसे उन्होंने एक छोटे से ऑर्चर्ड को एक फलते-फूलते व्यवसाय में बदल दिया।
आइए जानें कि कीवी की खेती कैसे किसानों के लिए एक लाभकारी अवसर हो सकती है और इसमें सफलता पाने के लिए क्या जरूरी है।
भारत में कीवी ऑर्चर्ड्स की शुरुआत
दलजीत सिंह को 1987 में भारत में पहला कीवी ऑर्चर्ड लगाने का श्रेय जाता है। तीन दशकों से अधिक के अनुभव के साथ, उन्होंने कीवी की खेती की कला में महारत हासिल की है और इसे अपना पूर्णकालिक काम बना लिया है। उनके ऑर्चर्ड में जापानी फलों, अनार और 100 से अधिक अन्य किस्मों के पौधे हैं, लेकिन कीवी उनके लिए मुख्य फोकस है, क्योंकि यह अत्यधिक लाभकारी है।
Latest Business idea: BPCL CNG फ्रैंचाइज़ी आवेदन शुरू, ये है आवश्यक दस्तावेजों की सूची
कीवी की खेती से कमाई की संभावना
दलजीत सिंह के 700 कीवी पौधे सालाना लगभग ₹1 करोड़ की प्रभावशाली आय पैदा करते हैं। नीचे कीवी की खेती से कमाई की संभावना का विवरण दिया गया है:
विवरण | जानकारी |
---|---|
पौधों की संख्या | 700 |
प्रति पौधा औसत उपज | 60-70 किलोग्राम |
प्रति किलोग्राम मूल्य | ₹150-₹200 |
वार्षिक आय | ~₹1 करोड़ |
प्रारंभिक निवेश प्रति एकड़ | ₹3.5-₹4 लाख |
जरूरी श्रम | झारखंड और बिहार के 10 स्थायी कामगार |
कीवी की खेती के फायदे
- औषधीय मूल्य: कीवी को एक औषधीय फल माना जाता है, जिसे डॉक्टर अक्सर डेंगू के मौसम में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए सलाह देते हैं।
- बाजार की मांग: हाल के वर्षों में कीवी की मांग बढ़ी है। भारत में सालाना लगभग 15,000-16,000 मीट्रिक टन कीवी का उत्पादन होता है, जिसकी मुख्य खेती अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, नागालैंड और जम्मू-कश्मीर में होती है।
- लाभ का मार्जिन: कीवी उच्च कीमत पर बिकता है, खासकर उन मौसमों में जब फल की मांग अधिक होती है।
चुनौतियाँ और समाधान
हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में खेती करना काफी चुनौतीपूर्ण होता है, खासकर सिंचाई के मामले में। इन क्षेत्रों में केवल 20% भूमि सिंचित है, जिससे आधुनिक तकनीकों का उपयोग सफल खेती के लिए आवश्यक हो जाता है।
प्रमुख तकनीक का उपयोग:
- ड्रिप इरिगेशन: जल की कमी को दूर करने के लिए, दलजीत सिंह ने अपने ऑर्चर्ड में ड्रिप इरिगेशन का उपयोग किया। यह विधि न्यूनतम जल उपयोग और अधिकतम दक्षता सुनिश्चित करती है।
तकनीक | उपयोग | फायदे |
---|---|---|
ड्रिप इरिगेशन | कीवी, जापानी फलों और अनार के लिए उपयोग | जल की खपत कम करना, दक्षता बढ़ाना |
आपके क्षेत्र के अनुसार सही फसल का चयन करना
हालांकि कीवी की खेती लाभदायक है, लेकिन आपके क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी की स्थिति को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। कीवी उन क्षेत्रों में अच्छी तरह से उगता है जहां सर्दियों में तापमान 7°C से नीचे होता है और ठंड के 700-800 घंटे की आवश्यकता होती है।
क्षेत्र | अनुकूल फसलें | अनुपयुक्त फसलें |
---|---|---|
हिमाचल प्रदेश (ऊँचाई वाले इलाके) | कीवी, जापानी फल, अनार | एवोकाडो, ड्रैगन फ्रूट |
महाराष्ट्र (उष्णकटिबंधीय) | एवोकाडो, ड्रैगन फ्रूट | कीवी |
Business idea: शहरों में जबरदस्त चल रही है डिमांड, लाखों के करे कमाई
निष्कर्ष
सही दृष्टिकोण और तकनीक के साथ कीवी की खेती किसानों के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है। दलजीत सिंह की सफलता की कहानी कीवी ऑर्चर्ड्स की क्षमता को दर्शाती है। हालांकि, यह जरूरी है कि आप अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुकूल फसलें चुनें और ड्रिप इरिगेशन जैसी आधुनिक खेती तकनीकों में निवेश करें ताकि चुनौतियों का सामना किया जा सके।
कीवी की खेती केवल एक फल उगाने का कार्य नहीं है; यह एक लाभकारी व्यवसाय को विकसित करने का अवसर है, जो करोड़ों में रिटर्न दे सकता है।