Success Story: कभी आपने सोचा है कि कैसे बिना किसी फंडिंग के एक लड़के ने 12000 करोड़ रुपये की कंपनी बना दी? आज हम बात करेंगे दिल्ली बेस्ड कैंपस ब्रांड की, जो इंडिया की लार्जेस्ट फुटवेयर मैन्युफैक्चरर बन चुकी है। इसके फाउंडर हरिकृष्ण अग्रवाल ने इंटरनेशनल ब्रांड्स जैसे Nike को पीछे छोड़ दिया है। चलिए जानते हैं इस प्रेरणादायक सफर की कहानी।
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शुरुआती संघर्ष और मेहनत
हरिकृष्ण अग्रवाल का जन्म एक मिडिल क्लास फैमिली में हुआ था। उन्होंने बचपन से ही अपने माता-पिता को कठिन मेहनत करते देखा था। उनके माता-पिता ने सिखाया कि सक्सेस पाने के लिए मेहनत और धैर्य बहुत जरूरी है।
विवरण | जानकारी |
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जन्म | मिडिल क्लास फैमिली |
माता-पिता | कठिन मेहनत करने वाले |
प्रेरणा | मेहनत और धैर्य |
हरिकृष्ण जी पढ़ाई में अच्छे थे, लेकिन उनके पेरेंट्स उन्हें स्कूल भेजने के बाद बाजार में काम करने के लिए कहते थे। उन्होंने लोकल मार्केट के शॉपकीपर्स के साथ काम करते हुए ट्रेड और कॉमर्स की बेसिक बातें सीख लीं।
बिजनेस की शुरुआत
1980 के दौरान, हरिकृष्ण जी ने देखा कि फुटवेयर मार्केट में एक बड़ा गैप है। उन्होंने देखा कि मार्केट में या तो बहुत अच्छी क्वालिटी के महंगे शूज थे या फिर घटिया क्वालिटी के सस्ते शूज। इस अपॉर्चुनिटी को देखते हुए उन्होंने डिसाइड किया कि वे खुद फुटवेयर इंडस्ट्री में एंट्री लेंगे।
वर्ष | घटना |
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1980 | फुटवेयर मार्केट में गैप देखा |
1983 | दिल्ली में एक्शन फुटवेयर ब्रांड की शुरुआत |
1983 में उन्होंने दिल्ली में एक्शन फुटवेयर ब्रांड की शुरुआत की। अपने दोस्त और फैमिली से कुछ पैसे उधार लेकर और अपनी सेविंग्स मिलाकर उन्होंने बिजनेस का सेटअप किया।
चुनौतियों का सामना
शुरुआती दिनों में बेसिक मशीनरी के साथ काम करना पड़ा। लोकल लेबर और मैनुअल काम की वजह से प्रोडक्शन स्लो था। लेकिन उन्होंने अपने कम्युनिकेशन स्किल्स का इस्तेमाल करते हुए होलसेलर्स, रिटेलर्स और लॉजिस्टिक पार्टनर्स के साथ बातचीत कर प्रोडक्ट्स बेचने की योजना बनाई।
चुनौतियाँ | समाधान |
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बेसिक मशीनरी | प्रोडक्शन स्लो |
लोकल लेबर और मैनुअल काम | कम्युनिकेशन स्किल्स का उपयोग, पार्टनर्स के साथ बातचीत |
मार्केट में जगह बनाना
कस्टमर्स ने शुरुआती दिनों में एक्शन शूज को नेगेटिव फीडबैक दिए थे। शूज की क्वालिटी घटिया थी और वे दो महीने भी नहीं टिक पाते थे। हरिकृष्ण जी ने हार नहीं मानी और अपनी कमजोरियों को सुधारने पर फोकस किया। उन्होंने मशीनरी को अपग्रेड किया, अच्छे क्वालिटी के रॉ मटेरियल खरीदे, स्किल्ड लेबर को काम पर रखा और अपने डिस्ट्रीब्यूटर्स को अच्छा कमीशन दिया।
समस्या | समाधान |
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घटिया क्वालिटी के शूज | मशीनरी अपग्रेड, अच्छे रॉ मटेरियल, स्किल्ड लेबर |
नेगेटिव फीडबैक | फोकस्ड इम्प्रूवमेंट और क्वालिटी कंट्रोल |
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कैंपस ब्रांड की स्थापना
2006 में हरिकृष्ण जी ने कैंपस ब्रांड की शुरुआत की। उन्होंने स्पोर्ट्स, कैजुअल और फॉर्मल शूज बनाने पर ध्यान दिया। कैंपस ब्रांड ने अपने प्रोडक्ट्स की क्वालिटी और अफोर्डेबिलिटी पर फोकस किया।
वर्ष | घटना |
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2006 | कैंपस ब्रांड की शुरुआत |
स्पोर्ट्स, कैजुअल और फॉर्मल शूज पर फोकस |
ब्रांड बिल्डिंग और मार्केटिंग
कैंपस ने वरुण धवन और सचिन तेंदुलकर जैसे सेलेब्रिटीज को अपने ऐड कैंपेन में शामिल किया। 2017 में कैंपस ने अपने ई-कॉमर्स वेबसाइट की शुरुआत की और अपने प्रोडक्ट्स को मल्टीब्रांड रिटेल स्टोर्स में रखा।
वर्ष | घटना |
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2017 | ई-कॉमर्स वेबसाइट लॉन्च |
मल्टीब्रांड रिटेल स्टोर्स में प्रोडक्ट्स रखे |
कोविड-19 के दौरान अवसर
2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान, कैंपस ने ऑनलाइन प्लेटफार्म का सहारा लिया और कांटेक्टलेस डिलीवरी ऑप्शन के साथ अपने कस्टमर्स की जरूरतों को पूरा किया।
वर्ष | घटना |
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2020 | कोविड-19 के दौरान ऑनलाइन फोकस |
कांटेक्टलेस डिलीवरी ऑप्शन और वर्क फ्रॉम होम शूज |
इंटरनेशनल एक्सपेंशन
2023 में कैंपस ने साउथ ईस्ट एशिया के देशों जैसे इंडोनेशिया और मलेशिया में अपनी कंपनी की शुरुआत की।
वर्ष | घटना |
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2023 | इंटरनेशनल एक्सपेंशन |
इंडोनेशिया और मलेशिया में कंपनी की शुरुआत |
निष्कर्ष
कैंपस ब्रांड की इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि मेहनत, धैर्य और सही रणनीति से कोई भी व्यक्ति बिना फंडिंग के भी एक बड़ा ब्रांड खड़ा कर सकता है। हरिकृष्ण अग्रवाल की यह कहानी हमें प्रेरित करती है कि कभी हार नहीं माननी चाहिए और हमेशा अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते रहना चाहिए।