New Business idea: रोज़ैल की खेती धीरे-धीरे किसानों के बीच एक लोकप्रिय विकल्प बनती जा रही है। यह मेडिसिनल पौधा, जिसे ‘हिबिस्कस’ या ‘रेजला’ के नाम से भी जाना जाता है, अपनी औषधीय गुणों के कारण दुनिया भर में मशहूर है। खासतौर पर इसके उपयोग से किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है। इस लेख में, हम रोज़ैल की खेती के बारे में विस्तार से जानेंगे।
रोज़ैल की खेती के फायदे
- कम लागत, अधिक मुनाफा: रोज़ैल की खेती में शुरुआत में केवल 5 किलो बीज की आवश्यकता होती है और इसे उगाने का खर्च भी बहुत कम होता है।
- मेडिसिनल वैल्यू: रोज़ैल का उपयोग चाय, मेडिसिन और अन्य स्वास्थ्यवर्धक उत्पादों में किया जाता है।
- लंबी अवधि तक उत्पादन: एक बार खेती करने के बाद, सालभर में 7-8 लाख रुपए तक की कमाई की जा सकती है।
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रोज़ैल की खेती का तरीका
1. बीज की तैयारी
रोज़ैल की खेती के लिए एक एकड़ भूमि में लगभग 5 किलो बीज की आवश्यकता होती है।
2. बोआई का समय
बोआई का सही समय बरसात शुरू होने से पहले होता है, जिससे पौधे अच्छे से उग सकें।
3. फसल की देखभाल
अक्टूबर तक पौधे लगभग 4-5 फीट लंबे हो जाते हैं। इस दौरान एक बार निराई की जाती है ताकि घास न उगे।
4. हार्वेस्टिंग का समय
हार्वेस्टिंग का सही समय नवंबर होता है। इस समय फूलों की पंखुड़ियों को तोड़कर सुखाया जाता है।
लागत और मुनाफा
विवरण | लागत |
---|---|
बीज (5 किलो) | ₹1,000 – ₹1,500 |
निराई और जुताई | ₹4,000 – ₹5,000 |
हार्वेस्टिंग लागत | ₹2,000 – ₹3,000 |
कुल लागत | ₹7,000 – ₹9,500 |
उत्पादन (5 क्विंटल/एकड़) | ₹75,000 – ₹1,50,000 |
संभावित मुनाफा | ₹1,50,000 – ₹1,60,000 |
मार्केटिंग और बिक्री
रोज़ैल के सूखे फूलों की बाजार में काफी मांग है। सूखने के बाद, लगभग 9 किलो गीले फूल से 1 किलो सूखा फूल तैयार होता है, जिसकी बाजार में कीमत ₹280-₹300 प्रति किलो होती है।
मार्केटिंग रणनीति
बिक्री विकल्प | रेटींग (₹/किलो) |
---|---|
स्थानीय व्यापारियों से संपर्क | ₹250-₹280 |
बड़ी कंपनियों को बिक्री | ₹300-₹320 |
एक्सपोर्टर के माध्यम से निर्यात | ₹320-₹350 |
मिट्टी और जलवायु की आवश्यकताएँ
- मिट्टी का प्रकार: काली दोमट मिट्टी रोज़ैल की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसमें उत्पादन अधिक होता है और पौधा स्वस्थ रहता है।
- जलवायु: रोज़ैल की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु सबसे अच्छी होती है। बरसात के मौसम में फसल तेजी से बढ़ती है।
रोग और कीट नियंत्रण
रोज़ैल की फसल में बहुत कम कीट और रोग लगते हैं। अगर पत्तियां कीटों द्वारा खाई भी जाती हैं, तो इसका फसल उत्पादन पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता।
संभावित कीट/रोग | नियंत्रण उपाय |
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इली का प्रकोप | जैविक कीटनाशक का छिड़काव |
पत्तियों का पीलापन | नियमित जल और पोषक तत्वों की आपूर्ति |
फूलों का रंग खराब होना | फसल को समय पर तोड़ना और सही तरीके से सुखाना |
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कुल टर्नओवर और मुनाफा
किसान अपनी खेती के आधार पर लगभग 7-8 लाख रुपये सालाना की कमाई कर सकते हैं। यदि फसल की गुणवत्ता अच्छी हो और बाजार में अच्छी कीमत मिले, तो यह राशि बढ़ भी सकती है।
निष्कर्ष
रोज़ैल की खेती एक कम लागत वाली, परंतु अत्यधिक लाभकारी फसल है। यदि आप भी इस फसल की खेती करना चाहते हैं, तो इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें और इसके लाभकारी परिणामों का आनंद उठाएं।
यदि आपके पास कोई सवाल या सुझाव है, तो कृपया हमें कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आपकी हर संभव मदद करने के लिए तत्पर हैं।
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Thankyou
Namaskar
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