Jagannath Mandir News: 12 बक्शो में मिले सोने से भरे रत्न भंडार साथ में हीरे जवाहरात

Jagannath Mandir News: विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ मंदिर का बहुमूल्य खजाना 40 साल बाद खोला जा रहा है। 11 सदस्यों की एक कमेटी को मंदिर के रत्न भंडार के अंदर प्रवेश की अनुमति दी गई है, जहाँ अनमोल खजाना रखा गया है। इस खजाने की गिनती करने में कई हफ्ते लग सकते हैं।

ऐतिहासिक उद्घाटन

आखिरी बार मंदिर का खजाना 1978 में गिना गया था। उस समय, 747 प्रकार के सोने और चांदी के आभूषणों की सूची बनाई गई थी, जिसमें 12,883 तोला (लगभग 150 किलोग्राम) सोने के गहने और 22,153 तोला (लगभग 270 किलोग्राम) चांदी के गहने शामिल थे। इस बार, कमेटी का उद्देश्य खजाने की विस्तृत और अद्यतित सूची बनाना है, जिसमें डिजिटल दस्तावेज़ और उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें शामिल हैं।

आस्था का सैलाब

भगवान जगन्नाथ का मंदिर न केवल आध्यात्मिक धरोहर है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का भी है। दुनियाभर से लाखों भक्त पुरी आते हैं ताकि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान उनकी एक झलक पा सकें। भक्तों की आस्था और श्रद्धा के कारण मंदिर को सदियों से महत्वपूर्ण दान प्राप्त होते रहे हैं, जो खजाने में शामिल हैं।

कमेटी का कार्य

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के विशेषज्ञों, जिनमें आभूषण विशेषज्ञ भी शामिल हैं, की टीम ने खजाने की गिनती और सूचीबद्ध करने का कार्य शुरू कर दिया है। प्रारंभिक खोज में 12 बॉक्स और एक अलमारी सोने, चांदी और रत्न जड़ित आभूषणों से भरे हुए मिले हैं। इन वस्तुओं की गिनती कड़ी सुरक्षा के बीच की जा रही है, जिसमें एक अस्थायी स्ट्रांग रूम स्थापित किया गया है।

अतीत की झलक

भीतरी कक्ष, जो 1978 के बाद से नहीं खोला गया था, न केवल भौतिक संपत्ति बल्कि ऐतिहासिक धरोहर भी समेटे हुए है। खजाने में मध्यकालीन भारत के भक्तों और राज परिवारों द्वारा चढ़ाए गए रत्न और आभूषण शामिल हैं। सूची बनाने की प्रक्रिया में इन वस्तुओं की उत्पत्ति और ऐतिहासिक महत्व का भी पता लगाया जाएगा।

चुनौतियाँ और सावधानियाँ

यह कार्य बहुत बड़ा है और इसमें कई चुनौतियाँ हैं। कमेटी को प्रत्येक वस्तु को सुरक्षित रूप से संभालना और दस्तावेज़ बनाना होगा, जिसमें कई महीने लग सकते हैं। भीतरी कक्ष की चाबी खो जाने के कारण, उसे आधिकारिक पर्यवेक्षण में तोड़ा गया, जिससे मंदिर के खजाने के रहस्य और रोमांच में वृद्धि हुई है।

आस्था और कथा

भगवान जगन्नाथ के मंदिर का खजाना सिर्फ बहुमूल्य वस्तुओं का संग्रह नहीं है; यह अटूट आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। सदियों से विभिन्न शासक, मुगल सम्राट और ब्रिटिश अधिकारी इस खजाने को पाना चाहते थे। मंदिर पर 18 बार आक्रमण हुए, लेकिन भक्तों की आस्था और मंदिर की पवित्रता बनी रही।

निष्कर्ष

भगवान जगन्नाथ के खजाने का खुलना एक ऐतिहासिक घटना है, जो न केवल ओडिशा बल्कि पूरे भारत और विश्व के लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही है। कमेटी का कार्य जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, दुनिया को इस अनमोल खजाने और उसकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के बारे में अधिक जानने का इंतजार है।

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