General Knowledge: भारत की रेलवे लगातार तकनीकी प्रगति की ओर अग्रसर है। हाल ही में, रेलवे मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की कि दिसंबर 2025 तक भारत में पहली हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली ट्रेनें शुरू हो जाएंगी। यह पहल भारत को पर्यावरणीय स्थिरता और हरित ऊर्जा की दिशा में एक कदम आगे ले जाएगी। आइए, इस ऐतिहासिक तकनीकी क्रांति के बारे में विस्तार से जानते हैं।
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क्या है हाइड्रोजन ट्रेन?
हाइड्रोजन ट्रेन एक अत्याधुनिक परिवहन प्रणाली है, जो हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक पर आधारित है। इस तकनीक में ट्रेन के अंदर हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के रासायनिक प्रतिक्रिया से ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसके उत्सर्जन के रूप में केवल पानी बनता है, जिससे यह पर्यावरण के लिए बिल्कुल स्वच्छ है।
भारत में इन ट्रेनों को “वंदे मेट्रो” नाम दिया जाएगा। यह ट्रेनें पूरी तरह से “मेक इन इंडिया” पहल के तहत बनाई जा रही हैं, जिसमें बेंगलुरु की एक कंपनी प्रमुख भूमिका निभा रही है।
भारत को हाइड्रोजन ट्रेनों की क्यों जरूरत है?
1. 2030 तक जीरो इमिशन का लक्ष्य
भारतीय रेलवे ने 2030 तक अपने संचालन को पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। इसका मतलब है कि रेलवे के सभी विभागों से कार्बन उत्सर्जन को समाप्त किया जाएगा। यह कदम वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में भी योगदान देगा।
2. डीजल ट्रेनों का विकल्प
डीजल ट्रेनें प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत हैं। हालांकि, इलेक्ट्रिक ट्रेनें एक बेहतर विकल्प हैं, लेकिन बिजली उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले फ्यूल से भी कार्बन उत्सर्जन होता है। इसके मुकाबले, हाइड्रोजन ट्रेनें पूरी तरह से स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करती हैं।
3. पर्यावरणीय लाभ
हाइड्रोजन ट्रेनें ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को समाप्त करती हैं। इसके उत्सर्जन के रूप में केवल पानी निकलता है, जो जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को कम करने में मदद करेगा।
हाइड्रोजन ट्रेन कैसे काम करती है?
हाइड्रोजन ट्रेनें हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक पर काम करती हैं। इन ट्रेनों में एक विशेष फ्यूल सेल होता है, जिसमें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बीच रासायनिक प्रतिक्रिया होती है। इस प्रक्रिया से उत्पन्न ऊर्जा को ट्रेन के पहियों को घुमाने के लिए उपयोग किया जाता है। यदि अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है, तो इसे लिथियम-आयन बैटरी में संग्रहीत किया जाता है।
प्रमुख विशेषताएं:
- उत्सर्जन: केवल पानी।
- किफायती ऊर्जा: 1 किलोग्राम हाइड्रोजन से उतनी ऊर्जा प्राप्त होती है जितनी 4.5 किलोग्राम डीजल से मिलती है।
- स्पीड: हाइड्रोजन ट्रेनें 140 किमी/घंटा की रफ्तार से चल सकती हैं।
- रेंज: एक बार ईंधन भरने पर यह 1000 किमी तक चल सकती हैं।
भारत में हाइड्रोजन ट्रेन की शुरुआत
भारत में हाइड्रोजन ट्रेनें दिसंबर 2025 तक शुरू हो जाएंगी। इन ट्रेनों का ट्रायल बेंगलुरु की एक कंपनी द्वारा किया जा रहा है। डेमू ट्रेनों में आवश्यक तकनीकी बदलाव कर इन्हें हाइड्रोजन फ्यूल से चलने योग्य बनाया जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय प्रेरणा:
2018 में जर्मनी ने दुनिया की पहली हाइड्रोजन ट्रेन लॉन्च की थी। फ्रांस की कंपनी अल्स्टॉम द्वारा विकसित यह ट्रेन आज भी सफलता से चल रही है। भारत भी इसी दिशा में एक मजबूत कदम उठा रहा है।
हाइड्रोजन ट्रेन: भारत के लिए एक स्वर्णिम भविष्य
हाइड्रोजन ट्रेन न केवल भारत को प्रदूषण मुक्त परिवहन की ओर ले जाएगी, बल्कि यह हरित ऊर्जा के क्षेत्र में भारत को वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाएगी।
संभावित लाभ:
- पर्यावरण संरक्षण: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी।
- स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग: हाइड्रोजन से ऊर्जा प्राप्त करना।
- तकनीकी विकास: “मेक इन इंडिया” पहल को बढ़ावा।
- कम परिचालन लागत: डीजल और अन्य ईंधनों की तुलना में हाइड्रोजन अधिक किफायती है।
- वैश्विक मान्यता: भारत को हरित परिवहन में अग्रणी स्थान मिलेगा।
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निष्कर्ष
भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन पर्यावरण संरक्षण और तकनीकी प्रगति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल न केवल प्रदूषण को कम करेगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और हरित भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगी। भारतीय रेलवे का 2030 तक “जीरो इमिशन” का लक्ष्य देश को ग्रीन ट्रांसपोर्टेशन के क्षेत्र में वैश्विक नेता बनाएगा।
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