Business idea: लाखों कमाने के लिए सर्दियों में करें इन घास की खेती, 5 वर्षों तक नहीं होगी चारे की कमी

Business idea: सर्दियों के मौसम में किसान और पशुपालक अक्सर मवेशियों को हरा चारा खिलाने की समस्या से जूझते हैं। अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं, तो इस ब्लॉग में हम कुछ खास तरह की घासों की जानकारी देंगे, जो न केवल सर्दियों में उगाई जाती हैं, बल्कि मवेशियों के लिए लंबे समय तक चारे की समस्या का समाधान भी करती हैं। इन घासों से दूध की उत्पादकता को भी बढ़ाने में मदद मिलती है।

नेपियर घास: पशुओं के लिए उत्तम हरा चारा

नेपियर घास पशुपालक किसानों के बीच बेहद लोकप्रिय है। यह घास सर्दियों में उगाई जाती है और इसकी खासियत है कि यह केवल 2 महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके चारे में प्रोटीन और विटामिन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है, जिससे मवेशियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और उनके स्वास्थ्य में सुधार होता है।

नेपियर घास की विशेषताएं:

  • प्रोटीन और विटामिन का अच्छा स्रोत: लगातार नेपियर घास खिलाने से मवेशियों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है और दूध की उत्पादकता में वृद्धि होती है।
  • लंबे समय तक उपयोग: इस घास को एक बार लगाने पर आप 4 से 5 वर्षों तक इसका उपयोग कर सकते हैं, जिससे चारे की लगातार आपूर्ति बनी रहती है।
  • कम पानी में उगाई जा सकती है: नेपियर घास की खेती सूखे और बंजर इलाकों में भी की जा सकती है, साथ ही इसे खेतों की मेड़ों पर उगाना भी संभव है।

ज्वार का चारा: दूध उत्पादन में लाभकारी

ज्वार का चारा मवेशियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है, खासकर उन पशुओं के लिए जो दूध देते हैं। ज्वार के चारे में मौजूद फाइबर की उच्च मात्रा मवेशियों के शरीर में पानी की कमी को पूरा करने में मदद करती है, जिससे उनकी दूध उत्पादकता में वृद्धि होती है।

ज्वार चारे की विशेषताएं:

  • पानी की कमी को पूरा करता है: ज्वार खिलाने से मवेशियों के शरीर में पानी की कमी नहीं होती, जिससे उनकी सेहत बनी रहती है।
  • फाइबर का अच्छा स्रोत: चारे के रूप में ज्वार फाइबर की मात्रा बढ़ाकर मवेशियों की दूध उत्पादकता में सुधार करता है।
  • नमी का ध्यान: ज्वार खिलाते समय ध्यान रखें कि इसे हरे और ताजे रूप में ही खिलाया जाए, जिससे मवेशियों को अधिक पोषण मिले।

बरसीम घास: 21% तक प्रोटीन युक्त

बरसीम घास पशुओं के लिए सबसे पौष्टिक और स्वादिष्ट चारे में से एक है। यह घास न केवल प्रोटीन से भरपूर है, बल्कि पाचन के लिए भी उत्तम मानी जाती है। इस घास को मवेशी बड़े चाव से खाते हैं और इसका सेवन उनके स्वास्थ्य और दूध उत्पादन दोनों के लिए फायदेमंद होता है।

बरसीम घास की विशेषताएं:

  • उच्च प्रोटीन मात्रा: इसमें 20 से 21 प्रतिशत तक प्रोटीन होता है, जो मवेशियों को स्वस्थ रखता है।
  • अच्छी पाचनशीलता: इसकी पाचनशीलता 75% तक होती है, जिससे यह चारा मवेशियों के लिए बहुत लाभकारी साबित होता है।
  • बुवाई का समय: मध्य अक्टूबर के बाद से इसकी बुवाई की जा सकती है और 40 दिनों के भीतर इसे काटा जा सकता है।

निष्कर्ष:

सर्दियों में पशुओं को चारे की कमी से बचाने के लिए नेपियर, ज्वार और बरसीम घास की खेती एक उत्तम विकल्प हो सकती है। इन घासों को एक बार उगाकर लंबे समय तक चारे की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है, साथ ही मवेशियों की सेहत और दूध की उत्पादकता में भी सुधार किया जा सकता है। यदि आप पशुपालन से जुड़े हैं, तो इन घासों की खेती आपके मवेशियों और आपकी आय दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।

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