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Solar Tile: भारत की पहली सोलर टाइल, पीएम मोदी को मिला गुजरात का अनोखा तोहफा - Rajswasthya.in

Solar Tile: भारत की पहली सोलर टाइल, पीएम मोदी को मिला गुजरात का अनोखा तोहफा

Solar Tile: हाल ही में गांधीनगर में आयोजित चौथी रिन्यूएबल एनर्जी रिइन्वेस्ट समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात की ओर से एक अनोखा तोहफा दिया गया। यह तोहफा दुनिया की पहली सोलर टाइल है, जो सिंगल यूज़ प्लास्टिक और इंडस्ट्रियल वेस्ट से बनाई गई है। इस लेख में हम जानेंगे इस सोलर टाइल की विशेषताएं, इसकी निर्माण प्रक्रिया, और यह कैसे भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में सहायक हो सकती है।

क्या है सोलर टाइल की खासियत?

  1. सिंगल यूज़ प्लास्टिक और इंडस्ट्रियल वेस्ट से निर्मित: यह सोलर टाइल सिंगल यूज़ प्लास्टिक और इंडस्ट्रियल वेस्ट को प्रोसेस करके बनाई गई है। इस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए, लगभग 350 प्लास्टिक वेस्ट पैकेट्स को एक टाइल बनाने में उपयोग किया गया है।
  2. बहु-उपयोगी डिज़ाइन: यह सोलर टाइल घर की छत पर, वर्टिकल वॉल्स पर, और अन्य स्थानों पर लगाई जा सकती है। यह न केवल ऊर्जा उत्पादन करती है, बल्कि इसे फर्श के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है, जिस पर आप चल भी सकते हैं।
  3. ड्यूल पर्पस प्रोडक्ट: यह न केवल वेस्ट मटेरियल का उपयोग करके पर्यावरण संरक्षण में योगदान देती है, बल्कि सोलर एनर्जी भी उत्पन्न करती है। यह वेस्ट टू वेल्थ और वेस्ट टू सोलर एनर्जी के प्रधानमंत्री के विज़न को पूरा करती है।
विशेषताविवरण
सामग्री (Material)सिंगल यूज प्लास्टिक और इंडस्ट्रियल वेस्ट
उपयोगिता (Utility)छत, वर्टिकल वॉल, फर्श, आदि
संरचना (Structure)350 प्लास्टिक वेस्ट पैकेट्स को मिलाकर एक टाइल बनाई गई
ऊर्जा उत्पादन क्षमता (Energy Production Capacity)नॉर्मल रूफटॉप सोलर पैनल्स के बराबर, जो बिल्डिंग का हिस्सा बनता है
वजन सहनशीलता (Weight Bearing Capacity)फर्श पर चलने योग्य
वर्तमान कीमत (Current Price)सामान्य रूफटॉप सोलर पैनल्स के समान
आगामी सब्सिडी (Upcoming Subsidy)जल्द ही सब्सिडी की शुरुआत होगी, जिससे लागत कम हो जाएगी
प्लेसमेंट (Placement)एमएनआरई में पहला इंस्टॉलेशन किया गया, जल्द ही आम जनता के लिए उपलब्ध होगी
विजन (Vision)हर घर सोलर का प्रधानमंत्री का लक्ष्य

इस सोलर टाइल का निर्माण कैसे हुआ?

इस सोलर टाइल का निर्माण अदित्य जी और उनकी टीम ने किया है, जिन्होंने मिक्स्ड प्लास्टिक वेस्ट को रिप्रपोज करके नया मटेरियल बनाने की तकनीक विकसित की है। अदित्य जी, जो पहले ही प्रधानमंत्री पुरस्कार जीत चुके हैं, ने यह विचार साझा किया कि प्लास्टिक वेस्ट को सोलर एनर्जी प्रोडक्शन के साथ कैसे जोड़ा जाए। इस तकनीक को विकसित करने में लगभग 6 साल का समय लगा, और इसका उद्देश्य एक ऐसा उत्पाद बनाना था जो पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा उत्पादन दोनों में सहायक हो।

टीम का नाम (Team Name)तकनीकी विशेषज्ञता (Technical Expertise)समय अवधि (Time Duration)
अदित्य जी और टीममिक्स्ड प्लास्टिक वेस्ट को रिसाइकल करके नए प्रोडक्ट्स बनाना, सोलर एनर्जी प्रोडक्शन में विशेषज्ञता6 साल तक शोध और विकास कार्य किया गया
प्रमुख उपलब्धि (Major Achievement)प्रधानमंत्री पुरस्कार विजेता
सहयोग (Collaboration)सोलर टाइल के निर्माण में दो स्टार्टअप्स ने सहयोग किया

पीएम मोदी को क्यों दिया गया यह तोहफा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह सोलर टाइल इसलिए भेंट की गई, क्योंकि यह उनके द्वारा लॉन्च किए गए स्वच्छ भारत मिशन और सर्कुलर इकॉनमी के सिद्धांतों को पूरा करती है। यह न केवल एक उपहार है, बल्कि यह भारत की पर्यावरण संरक्षण और अक्षय ऊर्जा के प्रति प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है।

आम जनता के लिए कितना उपयोगी है यह उत्पाद?

इस सोलर टाइल को विशेष रूप से आम जनता के उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है। यह सामान्य रूफटॉप सोलर पैनल्स की तरह ही काम करता है, लेकिन इसमें कुछ अतिरिक्त लाभ भी हैं:

  • स्पेस की बचत: रूफटॉप सोलर पैनल्स में जगह की समस्या होती है, लेकिन यह सोलर टाइल्स आपकी छत का हिस्सा बन जाती हैं और स्पेस की समस्या को हल करती हैं।
  • किफायती समाधान: यह उत्पाद मौजूदा रूफटॉप सोलर पैनल्स की तरह ही कीमत में उपलब्ध होगा। आने वाले महीनों में इसके लिए सब्सिडी भी शुरू होने की संभावना है, जिससे यह और भी किफायती हो जाएगा।
विशेषता (Feature)रूफटॉप सोलर पैनल्स (Rooftop Solar Panels)सोलर टाइल्स (Solar Tiles)
स्पेस की बचत (Space Saving)रूफटॉप का स्पेस उपयोग होता हैछत का हिस्सा बनता है, स्पेस की बचत होती है
ऊर्जा उत्पादन (Energy Production)नॉर्मल ऊर्जा उत्पादननॉर्मल ऊर्जा उत्पादन
वजन सहनशीलता (Weight Bearing)चलने योग्य नहींफर्श के रूप में उपयोग योग्य
लागत (Cost)सामान्य रूफटॉप सोलर पैनल्स की कीमत के समानसमान मूल्य, भविष्य में सब्सिडी की संभावना
डिज़ाइन (Design)रूफटॉप पर लगने वाले पारंपरिक सोलर पैनल्सबिल्डिंग का हिस्सा बनता है, अधिक आकर्षक और उपयोगी डिज़ाइन

भविष्य की योजनाएं और संभावनाएं

इस सोलर टाइल को एमएनआरई (Ministry of New and Renewable Energy) में पहले ही इंस्टॉल किया जा चुका है। आने वाले समय में, इसे और भी जगहों पर स्थापित किया जाएगा और सरकार की ओर से सब्सिडी मिलने की संभावना है।

इस नई तकनीक के कारण, आने वाले समय में सामान्य जनता भी इसे अपने घरों में आसानी से लगा सकेगी। इससे न केवल ऊर्जा की बचत होगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान मिलेगा।

निष्कर्ष

भारत की पहली सोलर टाइल एक अभिनव और पर्यावरण के अनुकूल समाधान है, जो सोलर एनर्जी प्रोडक्शन को एक नई दिशा दे सकता है। यह तकनीक न केवल हमारे पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में मदद करेगी, बल्कि प्रधानमंत्री के हर घर सोलर विज़न को भी साकार करने में सहायक सिद्ध होगी। इस नई पहल का व्यापक उपयोग हो, इसके लिए हमें थोड़ा इंतजार करना होगा जब तक कि सरकार इसकी सब्सिडी की घोषणा नहीं करती।

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