Success Story: आज की कहानी राजस्थान के उदयपुर जिले के एक छोटे से गांव जसवंतगढ़ की है, जहां एक किसान ने अपनी मेहनत और एंटरप्रेन्योरशिप स्किल्स से कमाल कर दिखाया है। राजेश ओजा नामक इस किसान ने जामुन की प्रोसेसिंग यूनिट से शुरुआत करके आज 2.5 करोड़ का टर्नओवर हासिल किया है।
यह कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो अपने क्षेत्रीय उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना चाहते हैं। आइए जानते हैं इस प्रेरणादायक सफर की कहानी और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ।
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प्रारंभिक संघर्ष और हार ना मानने का जज़्बा
राजेश ओजा ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद मुंबई में कई तरह के व्यवसाय करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें हर बार नुकसान का सामना करना पड़ा। लगभग 15 लाख रुपये का घाटा झेलने के बाद, उन्होंने हार नहीं मानी और अपने गांव लौट आए। वहां आकर उन्होंने सोचा कि क्यों न जामुन जैसे स्थानीय फल की प्रोसेसिंग करके उसकी शेल्फ लाइफ बढ़ाई जाए। इसी विचार से 2017 में उन्होंने अपनी कंपनी की नींव रखी।
जामुन प्रोसेसिंग यूनिट की शुरुआत
राजेश ने अपने गांव में 5000 स्क्वायर फीट के क्षेत्र में जामुन प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना की। उन्होंने स्थानीय आदिवासी महिलाओं को रोजगार देकर जामुन इकट्ठा करने का काम शुरू किया। महिलाएँ जंगल से जामुन तोड़कर कंपनी के कलेक्शन सेंटर पर लाती हैं, जहाँ से यह जामुन प्रोसेसिंग यूनिट में पहुंचता है।
यहाँ जामुन को धोकर, उसके बीज और पल्प को अलग किया जाता है। पल्प को फ्रीज करके स्टोर कर लिया जाता है और बीज को सुखाकर उसका पाउडर और ग्रीन टी जैसे उत्पाद तैयार किए जाते हैं।
जामुन प्रोसेसिंग यूनिट: एक नजर
राजेश ओजा का जामुन प्रोसेसिंग यूनिट 5000 स्क्वायर फीट में फैला हुआ है, जहाँ जामुन से विभिन्न उत्पाद तैयार किए जाते हैं। इसके अलावा, 2000 स्क्वायर फीट में पैकेजिंग यूनिट और 1000 स्क्वायर फीट में कोल्ड रूम बनाया गया है।
सुविधा | विवरण |
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प्रोसेसिंग यूनिट | 5000 स्क्वायर फीट |
पैकेजिंग यूनिट | 2000 स्क्वायर फीट |
कोल्ड रूम | 1000 स्क्वायर फीट |
कोल्ड रूम क्षमता | 30 टन रॉ पल्प स्टोरेज क्षमता |
तापमान | -18°C (12 महीने तक पल्प सुरक्षित रहता है) |
जामुन प्रोसेसिंग का बिजनेस मॉडल
राजेश ओजा ने जामुन प्रोसेसिंग के लिए एक सशक्त बिजनेस मॉडल तैयार किया है, जिसमें जामुन को विभिन्न उत्पादों में बदला जाता है।
प्रोडक्ट का नाम | विवरण |
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जामुन पापड़ | 100% प्योर जामुन, नो शुगर, नो केमिकल, नो प्रिजर्वेटिव |
जामुन फ्लेक्स | जामुन पल्प से बना फ्लेक्स |
जामुन विनेगर | फर्मेंटेड जामुन का सिरका |
जामुन बीज पाउडर | सूखे जामुन बीज से बना पाउडर |
जामुन ग्रीन टी | जामुन बीज पाउडर से बनी ग्रीन टी |
जामुन से बने प्रोडक्ट की सेल्फ लाइफ
जामुन की सामान्य शेल्फ लाइफ बहुत कम होती है, लेकिन प्रोसेसिंग के बाद इसे एक साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
प्रोडक्ट का नाम | शेल्फ लाइफ |
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जामुन पापड़ | 12 महीने |
जामुन फ्लेक्स | 12 महीने |
जामुन विनेगर | 24 महीने |
जामुन बीज पाउडर | 12 महीने |
जामुन ग्रीन टी | 12 महीने |
सरकार से सहयोग और फंडिंग
राजेश ने केंद्र सरकार की रफ्तार स्कीम के तहत 20 लाख रुपये की सीड फंडिंग प्राप्त की है, जिसमें कोई भी इक्विटी शेयर नहीं देना पड़ा। इसके अलावा, एमएसएमई डिपार्टमेंट की सब्सिडी के माध्यम से उन्होंने अपने व्यवसाय को विस्तार दिया।
सहयोग का स्रोत | विवरण |
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रफ्तार स्कीम | 20 लाख रुपये की सीड फंडिंग |
एमएसएमई सब्सिडी | प्रोसेसिंग यूनिट के लिए आर्थिक सहायता |
बिजनेस मॉडल में विविधता
उत्पादों की शेल्फ लाइफ में वृद्धि और विविधता
जामुन की प्रोसेसिंग से पहले इसकी शेल्फ लाइफ केवल 1-2 दिन की होती थी, लेकिन राजेश की यूनिट ने इसे 1 साल तक बढ़ा दिया। इसके अलावा, जामुन के पल्प से उन्होंने कई प्रकार के उत्पाद बनाए जैसे:
- जामुन स्ट्रिप्स/पापड़: यह 100% शुद्ध जामुन से बना होता है, जिसमें कोई भी शुगर, केमिकल या प्रिजर्वेटिव नहीं मिलाया गया है।
- जामुन फ्लेक्स: यह स्नैक्स के रूप में खाया जाता है और बेहद पौष्टिक होता है।
- जामुन सिरका: यह स्वास्थ्य के लिए कई फायदे प्रदान करता है।
- जामुन का पाउडर: यह मधुमेह रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद होता है।
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मार्केटिंग और ब्रांडिंग में सफलता
राजेश ओजा ने मार्केटिंग और ब्रांडिंग में भी बेहतरीन काम किया है। उन्होंने अपने उत्पादों को आकर्षक पैकेजिंग में पेश किया, जिससे उन्हें बाजार में अच्छी पहचान मिली। उन्होंने अपनी ब्रांडिंग को इस तरह से तैयार किया कि उनके उत्पाद न केवल स्थानीय बाजार में बल्कि देशभर में भी लोकप्रिय हो गए। उनके उत्पाद अब प्रमुख ब्रांड्स और आइसक्रीम इंडस्ट्रीज में भी सप्लाई होते हैं।
सरकार और प्राइवेट फंडिंग से मिली मदद
राजेश की कड़ी मेहनत और यूनिक बिजनेस मॉडल की वजह से उन्हें कई सरकारी और प्राइवेट फंडिंग मिली। उन्होंने ‘रफ्तार स्कीम’ के तहत सरकार से सीड फंडिंग प्राप्त की, जिससे उन्हें बिजनेस को और विस्तार देने में मदद मिली। इसके अलावा, उन्हें ICICI फाउंडेशन और अन्य प्राइवेट कंपनियों से भी आर्थिक मदद मिली।
सीखने और आगे बढ़ने का जुनून
राजेश ओजा की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हो, अगर हम ठान लें तो कुछ भी असंभव नहीं है। उन्होंने कठिनाइयों के बावजूद हार नहीं मानी और अपनी मेहनत, लगन और दूरदर्शिता से जामुन की प्रोसेसिंग यूनिट को 2.5 करोड़ का सफल व्यवसाय बना दिया।
निष्कर्ष
अगर आप भी किसी छोटे व्यवसाय या क्षेत्रीय उत्पाद को ग्लोबल मार्केट में पहचान दिलाना चाहते हैं, तो राजेश ओजा की यह कहानी आपके लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकती है। यह दिखाता है कि कैसे आप अपने स्थानीय संसाधनों का सही उपयोग करके और प्रोसेसिंग के माध्यम से उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
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